योजनाएं
शाख़ खलीलिया मस्जिद
यह बड़ी इमारत मदरसे की दूसरी इमारतों से थोड़ी दूर, शहर के दक्षिण भाग में घंटा घर के पास है। इसे 1928 (1348 हिजरी) में जनाब राव अब्दुल अज़ीज़ ने मदरसे के लिए वक़्फ़ किया था। यहाँ क़ुरआन की हिफ्ज़, नाज़रह और अरबी की शुरुआती पढ़ाई होती है। छात्रों की बड़ी संख्या यहाँ रहती है। नमाज़ियों की भीड़ बढ़ जाने से मस्जिद छोटी पड़ गई थी, इसलिए दो मंज़िल की नई मस्जिद बनाई गई है। कुछ काम अभी बाकी है।
शाखा मुज़फ्फ़रिया (मोहल्ला इस्लामाबाद) — ₹10 करोड़
मरहूम एहसानुल हक़ साहब ने अपनी ज़मीन (करीब 4500 वर्ग गज) मदरसे के नाम रजिस्टर्ड वक़्फ़ की थी। इस पर दो मंज़िल की क्लासें, छात्रावास और बड़ी मस्जिद बनेगी। कुल खर्च (नक़्शे के अनुसार) ₹10 करोड़ का अनुमान है।
मस्जिद कुलसूमिया — ₹5 करोड़
यह मस्जिद पुराने छात्रावास में है और अब छोटी पड़ गई है। इसलिए इसे तीन मंज़िला बनाने की ज़रूरत है। अभी अस्थायी रूप से टीन शेड लगाया गया है। कुल खर्च ₹5 करोड़ होगा।
मस्जिदे औलिया (पुराना दफ़्तर) — ₹2 करोड़
यह मदरसे की सबसे पुरानी मस्जिद है, यहीं से तबलीगी जमात की शुरुआत हुई थी। अब यह बहुत पुरानी हो चुकी है, इसलिए इसे चार मंज़िला बनाया जाएगा। लागत ₹2 करोड़ अनुमानित है।
दारुत्तज्वीद — ₹2 करोड़
यह इमारत पुरानी रसोई और छात्रावास के बीच है। नीचे डाकघर और दुकानें हैं, ऊपर तज्वीद (कुरआनका सही उच्चारण) की पढ़ाई होती है। यह इमारत भी अब कमजोर हो चुकी है, इसे चार मंज़िला बनाने की योजना है। लागत ₹2 करोड़ है।
अहाता लबे हौज़ (दारुस्सलाम) — ₹1 करोड़
यह हिस्सा मस्जिद कुलसूमिया के पास है। यह इमारत करीब 100 साल पुरानी थी और बहुत कमजोर हो गई थी। अब इसे तोड़कर चार मंज़िला नई इमारत बनाई जा रही है। खर्च ₹1 करोड़ आएगा।
अहाता मत्बख (रसोईघर) — ₹1 करोड़
1337 हिजरी 1918 ईस्वी में छात्रों के लिए खाना शुरू किया गया था। इसके लिए 400 गज ज़मीन पर दो मंज़िल की रसोई बनी थी। अब यह भी जर्जर हो गई थी, इसलिए इसे चार मंज़िला बनाने की योजना है। लागत ₹1 करोड़ अनुमानित है।




