प्रशासक (नुज़मा)

हज़रत मौलाना इनायत इलाही सहारनपुरी (रह.)

आपके वालिद (पिता) का नाम मौलाना बख्श और दादा का नाम मखदूम बख्श था। आपने क़ुरआन करीम की शिक्षा "मदरसतुल क़ुरआन" गंगोह में हासिल की। फिर फारसी और अरबी की प्रारंभिक किताबें सहारनपुर में विभिन्न उस्तादों से पढ़ीं। आप मज़ाहिर उलूम के प्रारंभिक विद्यार्थियों में से थे।
1284 हिजरी में मज़ाहिर उलूम में दाखिला लेकर अपनी शिक्षा का आरंभ किया। हज़रत मौलाना सआदत अली (रहमतुल्लाह अलैह) , हज़रत मौलाना सखावत अली (रहमतुल्लाह अलैह) , हज़रत मौलाना अहमद हसन (रहमतुल्लाह अलैह) और हज़रत मौलाना सिद्दीक अहमद (रहमतुल्लाह अलैह) आदि आपके उस्ताद थे। आपने यहाँ शिक्षा के दौरान हर साल उत्कृष्ट अंक प्राप्त किए। बुख़ारी शरीफ़ और तिर्मिज़ी शरीफ़ हज़रत मौलाना मोहम्मद मज़हर नानोतवी (रहमतुल्लाह अलैह) से पढ़ीं। आप यहाँ तालिबे इल्मी (छात्र) के दौरान ही खाली समय में मदरसे में पढ़ाते भी थे, लेकिन 1289 हिजरी में औपचारिक रूप से आपकी नियुक्ति हुई। थोड़े समय बाद, वालिद साहिब के हुक्म पर मंगलौर और अन्य स्थानों पर शिक्षा दी।
शव्वाल 1297 हिजरी में हज़रत मौलाना अहमद हसन साहिब (रहमतुल्लाह अलैह) के चले जाने के कारण उनकी जगह पर आपकी नियुक्ति सिर्फ दस रुपये महीने पर हुई। 5 रजब 1306 हिजरी को मौलाना अब्दुल रज्ज़ाक़ साहिब सहारनपुरी (रहमतुल्लाह अलैह) मज़ाहिर उलूम के मोहत्मिम (प्रधानाध्यापक) बनाए गए, लेकिन ज़िल क़ादा 1309 हिजरी में उन्होंने इस्तीफा दे दिया। फिर पहली बार हज़रत मौलाना इनायत अली (रहमतुल्लाह अलैह) मदरसे के नाज़िम और मोहत्मिम (प्रबंधक) बनाए गए।
आपका तक़वा (धार्मिकता) प्रसिद्ध था और अब तक उनके वाक्यात (घटनाएँ) मशहूर हैं। यहाँ विभिन्न सेवाओं के अलावा, आप फतवों (धार्मिक निर्णय) भी लिखते थे। मदरसे के रिकॉर्ड में "फतावा मज़ाहिर उलूम" की जो सौ जिल्दें मौजूद हैं, उनकी पहली और दूसरी जिल्द का अधिकांश हिस्सा हज़रत मौलाना इनायत इलाही (रहमतुल्लाह अलैह) के इल्मी फ़ैज़ान (ज्ञान की वृष्टि) का नमूना है। 20 जमादिस सानी 1347 हिजरी, 5 दिसंबर 1928 ईस्वी, बुधवार को दो बजे रात में उनका निधन हो गया।